अलंकार: जिस प्रकार आभूषण के धारण करने से स्त्री के बदन की शोभा बढ़ जाती है उसी प्रकार अलंकार के प्रयोग से वाक्य की शोभा बढ़ जाती है।
सूर्य पूर्व से उगता है, ये एक साधारण वाक्य है
सूर्य अपनी सहस्त्रों किरणें द्वारा सारे संसार को प्रकाशमान करने के लिए पूर्व दिशा से उदय होता है, इस वाक्य में पहले वाक्य की अपेक्षा ज़्यादा सुन्दरता है।
अलंकार ६ प्रकार के होते हैं: --
सूर्य पूर्व से उगता है, ये एक साधारण वाक्य है
सूर्य अपनी सहस्त्रों किरणें द्वारा सारे संसार को प्रकाशमान करने के लिए पूर्व दिशा से उदय होता है, इस वाक्य में पहले वाक्य की अपेक्षा ज़्यादा सुन्दरता है।
अलंकार ६ प्रकार के होते हैं: --
- अनुप्रास अलंकार: जब वाक्य में वर्णों की आवृति होती है तो वहां अनुप्रास अलंकार होता है।
- यमक अलंकार: जब किसी वाक्य में एक ही शब्द का प्रयोग एक से अधिक बार होता है और हर बार उसका अर्थ अलग अलग होता है तो वहाँ यमक अलंकार होता है।
ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहन वारी, ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहाती हैं। (यहाँ पर मन्दर के अर्थ हैं अट्टालिका और गुफा।)
तीन बेर खाती थी वो तीन बेर खाती थी। (यहाँ बेर का अर्थ बार और बेर (फल) है।)
कनक-कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय, या खाये बौराय जग, वा पाये बौराय। (यहाँ पर कनक के अर्थ हैं धतूरा और सोना।)
- श्लेष अलंकार: जब किसी शब्द का प्रयाग एक बार किया जाता है और उसके एक से अधिक अर्थ निकलते हैं तो वहाँ श्लेष अलंकार होता है।
रहिमन पानी राखिये,बिन पानी सब सून। पानी गये न ऊबरै, मोती मानुष चून।
यहाँ पानी का प्रयोग एक बार ही किया गया है, किन्तु उसके तीन अर्थ हैं - मोती के लिये पानी का अर्थ चमक, मनुष्य के लिये इज्जत (सम्मान) और चूने के लिये पानी है।
- उपमा अलंकार: जब किसी वस्तु की तुलना किसी दूसरी समान गुण वाली वस्तु से की जाती है तो वहाँ उपमा अलंकार होता है।
राधा बदन चंद्र सो सुंदर। (राधा के बदन की चंद्रमा से तुलना)
चरण कमल बन्दोऊ हरी राई। (चरणों की तुलना कमल से)
- अतिश्योक्ति अलंकार: जब किसी बात को बहुत बढ़ा चढा कर बताया जाता है तो वहाँ अतिश्योक्ति अलंकार होता है।
हनुमान की पूँछ में, लगन न पायी आग।
सगरी लंका जर गई, गए निशाचर भाग।।
- विभावान अलंकार: जहाँ कारण के न होते हुए भी कार्य का होना पाया जाता है वहाँ विभावान अलंकार होता है।
बिनु पग चलै सुनै बिनु काना।
कर बिनु कर्म करै विधि नाना।
तन बिनु परस नयन बिनु देखा।
गहे घ्राण बिनु बांस असेखा।
5 comments:
अलंकारों के विषय में पोस्ट देख कर अच्छा लगा. बचपन में जो पढ़ा था उसकी पुनरावृत्ति भी हो गई. आपको धन्यवाद.
बहुत आभार इस जानकारी को यहाँ प्रस्तुत करने के लिये.
सही है जी।
THANKS A LOT FOR THIS
I FOUND ONLY THIS THING ON THE INTERNET SENSIBLE FOR MY HINDI PROJECT.
THANKS AGAIN
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