Thursday, February 14, 2008

कितने अजीब रिश्ते हैं यहाँ पे

ना जाने क्यों जब भी ये गाना सुनता हूँ तो ये कहीं कहीं से दिल के तारों को छेड़ जाता हैआज शायद कुछ बीती बातें याद कर रहा था और सहसा इस गाने के बोल सुनाई दिएकाफ़ी देर तक सोचता रहा गाने के बोलों की सच्चाई को।


कितने अजीब रिश्ते हैं यहाँ पे...
दो पल मिलते हैं, साथ साथ चलते हैं
जब मोड़ आए तो बचके निकलते हैं
कितने अजीब रिश्ते हैं यहाँ पे...

यहाँ सभी अपने ही धुन में दीवाने हैं
करे वोही जो अपना दिल ठीक माने हैं
कौन किसको पूछें, कौन किसको बोले
सबके लबों पर अपने तराने हैं
ले जाए नसीब किसको कहाँ पे
कितने अजीब रिश्ते हैं यहाँ पे...

ख्वाबों की ये दुनिया है, ख्वाबों में ही रहना है
राहें ले जाए जहाँ, संग संग चलना है
वक्त ने हमेशा यहाँ नए खेल खेले
कुछ भी हो जाए यहाँ, बस खुश रहना है
मंजिल लगे करीब सबको यहाँ पे
कितने अजीब रिश्ते हैं यहाँ पे...


आज के युग में कितना सटीक लगते हैं इस गाने के बोल आज की दुनिया की ये ही सच्चाई है आज तक ना जाने कितने लोगों को दोस्त बनाया/समझा कुछ तो अपना मतलब सिद्ध करके चलते हुए और कुछ ने बिना किसी कारण के मुँह फेर लिया ज़िंदगी तो अपनी रफ़्तार से चलती ही रहेगी परन्तु उन मोड़ों कि यादें और कसक हमेशा इस दिल में रह जायेगी जिस मोड़ से वो बच के निकले थे।

Sunday, February 10, 2008

परिवार कि सुख

तनु निम्न मध्यम परिवार में पली बढ़ी और पढ़ने लिखने में उतीर्ण कन्या है। उसके पापा और चाचा एक साथ कपडे की दुकान करते हैं और माँ और चाची घर संभालती हैं। तनेश उसका २ साल छोटा चचेरा भाई है। तनेश भी पढ़ने लिखने में होशियार है। तनु के डाक्टरी में चयन हो जाने के कारण आज घर में छोटी सी पार्टी है और सब बहुत खुश हैं, विशेषकर उसकी चाची क्योंकि तनु की चाची तनु की बहुत अच्छी दोस्त भी है।
तनु अपनी पढाई के लिए जा रही है और सब स्टेशन पर उसे छोड़ने जाते हैं। परन्तु उसकी चाची नहीं जा रही क्योंकि वो तनु को जाते हुए नहीं देख सकती। तनु पढ़ने चली गयी और कुछ दिन बाद घर में सब कुछ पहले जैसा चलने लगा पर अभी भी तनु की कमी सबको महसूस होती है।
वक़्त बीता और तनेश का भी इंजीनियरिंग में चयन हो गया। परन्तु घर की आर्थिक स्थिथि को देखते हुए और तनु की पढाई में लगने वाले खर्चे को देखते हुए तनु के चाचा ने तनेश को आगे पढ़ने से मना कर दिया और दुकान में उनका हाथ बटाने को बोला, परन्तु तनेश अभी और पढना चाहता है। तनु की माँ को तनु के चाचा की बात पसंद नहीं आई और उन्होने तनु की पढाई को रोक कर तनेश के पढाई को शुरू करने की बात कही। तनु की चाची ने तनु के चाचा का पक्ष लिया और बोला दुकान पर २ की जगह अगर ३ लोग होने तो ज्यादा अच्छे से काम होगा इसलिए तनेश का दुकान पर काम करना ही ठीक है। बहुत कहने सुनने के बाद ये निर्णय हुआ की तनेश दुकान पर काम करेगा और उसकी पढाई रोक दी गयी क्योंकि तनु की चाची ने धमकी दे दी थी की अगर तनु की पढाई रोकी गयी तो वो घर से चली जाएगी।
इस सब बातों से बेखबर तनु ने डाक्टरी में हर साल अव्वल स्थान प्राप्त किया और २.५ साल के बाद वो घर आ रही है। सब उसे स्टेशन लेने गए और तनु अपने चाची को स्टेशन पर देख कर बहुत खुश हुई। २.५ साल बाद घर आने पर वो फूली नहीं समा रही थी परन्तु तनु की माँ ज्यादा खुश नहीं थी क्योंकि उसे पता था की जब तनु को तनेश की पढाई के बाए में पता लगेगा तो बहुत नाराज होगी। और ऐसा ही हुआ, जब तनु ने सुना की आर्थिक तंगी के कारण तनेश की पढाई रोक दी गयी है तो रो रो कर उसका बुरा हाल हो गया। तनु ने तुरंत अपनी पढाई छोड़ने का सोचा और अपनी चाची से बोली कि अब वो आगे नहीं पढना चाहती है। परन्तु उसकी चाची ने फिर घर से चले जाने कि बात कही। तनु समझ नहीं पा रही थी की वो अपनी चाची को क्या कहे। अपनी चाची से चिपट कर तनु रोती रही और रोते रोते सोचती रही कि ना जाने किन अच्छे कर्मो के कारण उसको ऐसी चाची मिली और ऐसा परिवार मिला जहाँ सब एक दुसरे कि ख़ुशी के लिए अपनी ख़ुशी छोड़ने पर तनिक भी विचार नहीं करते। शायद आज तनु के दिल कि हालत उससे बेहतर कोई नहीं समझ सकता था।

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