श्रव्य काव्य के पाठन से अथवा श्रवण से तथा दृश्य काव्य के श्रवण से अथवा दर्शन से जिस आनंद की प्राप्ति होती है काव्य में उसे ही रस कहते हैं।
रस से जिस भाव की अनुभूति होती है उसे रस का स्थायी भाव कहते हैं।
रस के प्रकार:
वस्तुतः रस के ९ प्रकार होते हैं परन्तु कुछ ज्ञानीजन रस के दसवें प्रकार के होने की भी पुष्टि करते हैं।
- श्रृंगार रस - स्थायी भाव -> रति
- हास्य रस - स्थायी भाव -> हास
- करुण रस - स्थायी भाव -> शोक
- रौद्र रस - स्थायी भाव -> क्रोध
- वीर रस - स्थायी भाव -> उत्साह
- भयानक रस - स्थायी भाव -> भय
- वीभत्स रस - स्थायी भाव -> घृणा, जुगुप्सा
- अद्भुत रस - स्थायी भाव -> आश्चर्य
- शांत रस - स्थायी भाव -> निर्वेद
- वात्सल्य रस - स्थायी भाव -> वत्सल
1 comment:
श्रिंगार को श्रृंगार कर लें.
SrRuM -अगर बारहा यूज करते है तो.
Post a Comment