Friday, October 19, 2007

कब के बिछडे हुए आज यहाँ आ के मिले

बचपन में हिन्दी चलचित्र देखकर हमेशा ये आभास होता था कि लोग (संभवतः दो भाई/दोस्त) मेले में (प्रायः कुम्भ के मेले में) खो जाया करते हैं और जवानी में शरीर पर कोई चिन्ह/निशान देखकर वापस मिल जाया करते हैं। विज्ञान जैसे जैसे उन्नति कर रह है वैसे वैसे लोगों का बिछड़ना और मिलना उतना दुष्कर नहीं रह गया है। इंटरनेट के आने के बाद लगा कि दुनिया सिमट कर बहुत ही छोटी हो गयी है। परन्तु इस दूरी को और कम करने के लिए आ गयी दर्जनों साइट्स। इन साइट्स के माध्यम से आप ना ही अपनों के सम्पर्क में रह सकते है वरन आप अपने बहुत पुराने/बिछडे हुए मित्रों को ढूंढ भी सकते हैं और उनसे कभी ना खतम होने वाला सम्पर्क भी स्थापित कर सकते हैं। ऐसी ही कुछ साइट्स के नाम जो मुझे ज्ञात हैं यहाँ प्रस्तुत करने का प्रयास कर रह हूँ। अधिकांश पाठक जन इन साइट्स से परिचित होंगे परन्तु कुछ साइट्स उपयोगी सिद्ध हो सकती है।

१) यह साइट शायद सबसे पुरानी और विदेशों में सबसे ज्यादा प्रचलित है।
२) यह साइट अभी अपने पैरों पर खडी होने के लिए पूरी मेहनत कर रही है।
३) यह साइट शायद अभी भी दुनिया कि निगाहों से छुपी हुई है।
परन्तु लगता है यह साइट सभी साइट्स से ऊपर निकलने के लिए बेताब है। अब देखना यह है कि बिछडे हुओं को मिलाने की दौड़ में कौन आगे निकलता है और कौन सी साइट सबसे बड़ा समूह बनाने की बाजी मार ले जाती है।
इस लेखागार का प्रयोजन बस इतना है की ऐसी साइट्स जो सिर्फ इसी उद्देश्य से बनायीं गयी हैं जिनके माध्यम से लोग बिछडे/पुराने मित्रों से पुनः सम्पर्क स्थापित कर सकें उन साइट्स को एक स्थान पर एकत्रित कर सकूं।

नोट: बहुत सी साइट्स ऐसी हैं जो यहाँ संबोधित होने से वंचित रह गयी हैंइस लेखागार का प्रयोजन बस इतना है की ऐसी साइट्स जो सिर्फ इसी उद्देश्य से बनायीं गयी हैं जिनके माध्यम से लोग बिछडे/पुराने मित्रों से पुनः सम्पर्क स्थापित कर सकें उन साइट्स को एक स्थान पर एकत्रित कर सकूं कृपया आप अगर उन साइट्स से अवगत हों तो कमेंट के माध्यम से बताने की कृपा करें जिससे में उन सब साइट्स को यहाँ लिख सकूं

कुछ शेर दोस्ती के नाम

कौन कहता है दोस्त तुमसे हमारी जुदाई होगी,
ये खबर किसी और ने उडाई होगी,
शान से रहेंगे आपके दिल में हम,
इतने दिनों में हमने कुछ तो जगह बनाई होगी


दिल तोड़ना हमारी आदत नहीं,
दिल हम किसी का दुखाते नहीं,
भरोसा रखना हमारी दोस्ती पर,
दोस्त बनाकर हम किसी को भुलाते नहीं


ज़रूरत ही नहीं अल्फाज़ की,
दोस्ती तो चीज़ है बस एहसास की,
पास होते तो मंज़र ही कुछ और होता,
दूर से भी खबर है हमें आपकी हर सांस की


ज़िंदगी का एक और सफर कट गया यूहीं,
खुशियाँ और गम के पल बीत गए यूहीं,
साथ दोस्तों का था उस हर एक पल में,
यादें बस यादें रह जायेगी हमेशा,
जिन्हें दिल में समाये कट जाएगा आगे का सफर यूहीं

Thursday, October 18, 2007

भैंस हमारी ?? है

मुहावरों की दुनिया में भैंस ने बड़ा नाम कमाया है। कुछ मुहावरे सुनते ही मेरे मन में हमेशा ये ख़याल आता है कि आख़िर उस मुहावरे का मतलब वो ही क्यों है जो कि उसका मतलब है। उस मुहावरे का मतलब कुछ और भी तो हो सकता था या यूं कहें कि उस मुहावरे में उपमा के तौर पे भैंस के स्थान पे किसी और का भी प्रयोग किया जा सकता था। उदाहरणार्थ:

भैंस के आगे बीन बजाना
अब इस मुहावरे में भैंस के आगे ही बीन क्यों बजाते हैं। मुहावरे का मतलब है किसी बेवकूफ को अपनी बात समझाना। भई सबसे बेवकूफ जानवर तो गधे को ही माना गया है। तो ये मुहावरा गधे के आगे बीन बजाना क्यों नहीं है? बेचारी भैंस को जबरदस्ती बेवकूफों कि श्रेणी में डाल दिया गया ही इस मुहावरे के कारण।

अकल बड़ी या भैंस
इस मुहावरे का अर्थ तो मुझे आज तक समझ में नहीं आया। आख़िर इस मुहावरे से क्या निष्कर्ष निकला जाये। अगर भैंस को सबसे बेवकूफ प्राणी समझा जा रह है तो किसी अकलमंद से उसकी तुलना क्यों कि जा रही है और अगर किसी बेवकूफ व्यक्ति कि तुलना कि जा रही है तो वो भैंस से क्यों कि जा रही है गधे से क्यों नहीं कि जा रही है क्योंकि सबसे बेवकूफ प्राणी तो गधा ही है ना।

जिसकी लाठी उसकी भैंस
ये बात हुई ना कुछ। इस मुहावरे को पढ़ के लगता है कि भैंस कि भी कोई औकात है। मतलब जो सबसे ज्यादा पहलवान है वस्तु उसी कि है। इस मुहावरे से भैंस कि गरिमा को चार चाँद लग गए हैं।

गयी भैंसिया पानी में
फिर से भैंस का अपमान। इस मुहावरे में फिर भैंस को केन्द्र बिन्दु क्यों बनाया गया है। अगर किसी का कुछ नुकसान हुआ है तो बेचारी भैंस को क्यों पानी में ढकेल रहे हो भई। ढकेलना ही है तो किसी और को ढकेल दो, जैसे सांड सबसे फालतू जानवर है तो सांड को ढकेल दो पानी में। गया सांड पानी में

बेचारी भैंस पे इतना जुर्म असह्य है। अगर जल्द ही इन सब मुहावरों में से भैंस को ना निकला गया तो एक दिन आएगा जब सभी भैंसे संगठित होकर मोर्चा निकल देंगी और सभी बच्चों को भूखा रहना पड़ेगा (अब जब भैंस दूध नहीं देगी तो बच्चे तो भूखे ही रहेंगे ना)। अब भी वक़्त है चेत जाओ अन्यथा परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहो।

Wednesday, October 17, 2007

नोबेल पुरूस्कार की दौड़ में भारतीय

डाक्टर आर. के. पचौरी को वर्ष २००७ का नोबेल शांति (Peace) पुरूस्कार की दौड़ में शामिल किया गया है। सहसा ही मन में उन भारतीयों का ख़याल आया जिनको अभी तक नोबेल पुरूस्कार से समानित किया जा चूका है। सूची बहुत बड़ी तो नहीं है परंतु ऐसी है जिस पर सभी भारतीयों को गर्व है।
नोबेल पुरुस्कृत भारतीयों की सूची:

) रबींद्र नाथ ठाकुर को साहित्य (Literature) के लिए सन् १९१३ में
) चंद्रशेखर वेंकट रमन को भौतिक शास्त्र (Physics) के लिए सन् १९३० मे
) डाक्टर हर्गोबिन्द खुराना को औषधि एवं जिव्तत्व (Medicine and Physiology) के लिए सन् १९६८ में
) मदर टेरेसा को शांति (Peace) के लिए सन् १९७९ में
) डाक्टर सुब्रामनियम चंद्रशेखर को भौतिकी शास्त्र (Physics) के लिए सन् १९८३ में
) डाक्टर अमर्त्य सेन को अर्थ शास्त्र (Economics) के लिए सन् १९९८ में

इस सूची में एक और नाम पांच बार जुड़ने से वंचित रह गया। वो नाम था हमारे राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी का। सन् १९३७ से १९४८ के बीच महात्मा गाँधी का नाम पांच बार नोबेल शांति (Peace) पुरूस्कार के लिए चयनित किया गया परंतु राष्ट्र पिता को एक बार भी ये पुरूस्कार नहीं मिल सका। सन् १९४८ में महात्मा गाँधी को संभवतः ये पुरुस्स्कार मिल जाता परंतु दुर्भाग्य पूर्वक उसी वर्ष उनका देहांत हो गया। नोबेल पुरूस्कार कमेटी ने मरणोपरांत ये पुरूस्कार देने का निश्चय किया परंतु मरणोपरांत ये पुरूस्कार देने को स्वीकृति नहीं मिल पायी। अंततः उस वर्ष (१९४८) किसी को भी नोबेल शांति पुरूस्कार से सम्मानित नहीं किया गया।

Friday, October 5, 2007

खुश रहो

जिन्दगी है छोटी, हर पल में खुश रहो,

ऑफिस मे खुश रहो, घर में खुश रहो
आज पनीर नहीं है, दाल में ही खुश रहो,

आज जिम जाने का समय नहीं, दो कदम चल के ही खुश रहो
आज दोस्तों का साथ नहीं, टीवी देख के ही खुश रहो

घर जा नहीं सकते तो फ़ोन कर के ही खुश रहो
आज कोई नाराज़ है, उसके इस अंदाज़ में भी खुश रहो

जिसे देख नहीं सकते उसकी आवाज़ में ही खुश रहो
जिसे पा नहीं सकते उसके याद में ही खुश रहो

Laptop ना मिला तो क्या, Desktop में ही खुश रहो
बिता हुआ कल जा चुका है, उससे मिटी यादें है, उनमे ही खुश रहो

आने वाले पल का पता नहीं, सपनों में ही खुश रहो
हंसते हंसते ये पल बिताएँगे, आज में ही खुश रहो

जिन्दगी है छोटी, हर पल में खुश रहो

दर्द-ए-दिल

आंसुओ के गिरने की आहट नहीं होती,
दिल के टूटने की आवाज़ नहीं होती,
अगर होता खुदा को एहसास दर्द का,
तो उसे दर्द देने की आदत नहीं होती


रोने से गम-ए-दिल का गुज़ारा नहीं होता,
हर शख्स दिल का सहारा नहीं होता,
उस रोज़ लगता है बेकार जिए हम,
जिस रोज़ कभी ज़िक्र तुम्हारा नहीं होता

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