Thursday, October 18, 2007

भैंस हमारी ?? है

मुहावरों की दुनिया में भैंस ने बड़ा नाम कमाया है। कुछ मुहावरे सुनते ही मेरे मन में हमेशा ये ख़याल आता है कि आख़िर उस मुहावरे का मतलब वो ही क्यों है जो कि उसका मतलब है। उस मुहावरे का मतलब कुछ और भी तो हो सकता था या यूं कहें कि उस मुहावरे में उपमा के तौर पे भैंस के स्थान पे किसी और का भी प्रयोग किया जा सकता था। उदाहरणार्थ:

भैंस के आगे बीन बजाना
अब इस मुहावरे में भैंस के आगे ही बीन क्यों बजाते हैं। मुहावरे का मतलब है किसी बेवकूफ को अपनी बात समझाना। भई सबसे बेवकूफ जानवर तो गधे को ही माना गया है। तो ये मुहावरा गधे के आगे बीन बजाना क्यों नहीं है? बेचारी भैंस को जबरदस्ती बेवकूफों कि श्रेणी में डाल दिया गया ही इस मुहावरे के कारण।

अकल बड़ी या भैंस
इस मुहावरे का अर्थ तो मुझे आज तक समझ में नहीं आया। आख़िर इस मुहावरे से क्या निष्कर्ष निकला जाये। अगर भैंस को सबसे बेवकूफ प्राणी समझा जा रह है तो किसी अकलमंद से उसकी तुलना क्यों कि जा रही है और अगर किसी बेवकूफ व्यक्ति कि तुलना कि जा रही है तो वो भैंस से क्यों कि जा रही है गधे से क्यों नहीं कि जा रही है क्योंकि सबसे बेवकूफ प्राणी तो गधा ही है ना।

जिसकी लाठी उसकी भैंस
ये बात हुई ना कुछ। इस मुहावरे को पढ़ के लगता है कि भैंस कि भी कोई औकात है। मतलब जो सबसे ज्यादा पहलवान है वस्तु उसी कि है। इस मुहावरे से भैंस कि गरिमा को चार चाँद लग गए हैं।

गयी भैंसिया पानी में
फिर से भैंस का अपमान। इस मुहावरे में फिर भैंस को केन्द्र बिन्दु क्यों बनाया गया है। अगर किसी का कुछ नुकसान हुआ है तो बेचारी भैंस को क्यों पानी में ढकेल रहे हो भई। ढकेलना ही है तो किसी और को ढकेल दो, जैसे सांड सबसे फालतू जानवर है तो सांड को ढकेल दो पानी में। गया सांड पानी में

बेचारी भैंस पे इतना जुर्म असह्य है। अगर जल्द ही इन सब मुहावरों में से भैंस को ना निकला गया तो एक दिन आएगा जब सभी भैंसे संगठित होकर मोर्चा निकल देंगी और सभी बच्चों को भूखा रहना पड़ेगा (अब जब भैंस दूध नहीं देगी तो बच्चे तो भूखे ही रहेंगे ना)। अब भी वक़्त है चेत जाओ अन्यथा परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहो।

5 comments:

अनिल रघुराज said...

कैसा विचित्र संयोग है कि मैंने भी आज भैंस के मुहावरे से ही अपनी पोस्ट की शुरुआत की है। इसीलिए कहते हैं कि दो 'महान' लोग हमेशा एक जैसी बात ही सोचते हैं।
वैसे, ये तो सच है हमारे बुजुर्गों ने भैंस जैसी दुर्लभ पालतू जानकर के साथ भेदभाव किया है, उसी तरह जैसे गांवों में यादवों और शहरों में जाटों और सिखों पर चुटकुले बना दिए गए हैं।

काकेश said...

चलिये आप से मुहावरों को जानना सुखद रहा.

Udan Tashtari said...

मुहावरों के ज्ञानवर्धन के लिये आभार. और लाईये.

Unknown said...

Kala akshar bhains barabar

lakshmanraby said...

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