Friday, October 5, 2007

दर्द-ए-दिल

आंसुओ के गिरने की आहट नहीं होती,
दिल के टूटने की आवाज़ नहीं होती,
अगर होता खुदा को एहसास दर्द का,
तो उसे दर्द देने की आदत नहीं होती


रोने से गम-ए-दिल का गुज़ारा नहीं होता,
हर शख्स दिल का सहारा नहीं होता,
उस रोज़ लगता है बेकार जिए हम,
जिस रोज़ कभी ज़िक्र तुम्हारा नहीं होता

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