संवत पन्द्रह सौ चौवन में (१५५४), जागा राजापुर का भाग,
हुलसी ने तुलसी को जाया, जो हिंदी का अमर सुहाग,
राम नाम बोला था, रामनाम जनमत तत्काल,
पिता आत्माराम देखकर बालक को, हो गए निहाल,
पर जब पाया मूल मन्त्र में, उपजा मन में कुछ आभास,
बालक सौंप दिया मुनिया को, मुनिया दीन्हा नरहरी दास,
पालित पोषित शिक्षित होकर, शेष सनातन से पा ज्ञान,
निज पत्नी रत्नावली से, पा राम का वैभव मान,
आज विश्व के अखिल रसिक जन, कर मानस (रामचरितमानस) में स्नान विलास,
मुक्त कंठ से कह उठते हैं, जय तुलसी, जय तुलसीदास
हुलसी ने तुलसी को जाया, जो हिंदी का अमर सुहाग,
राम नाम बोला था, रामनाम जनमत तत्काल,
पिता आत्माराम देखकर बालक को, हो गए निहाल,
पर जब पाया मूल मन्त्र में, उपजा मन में कुछ आभास,
बालक सौंप दिया मुनिया को, मुनिया दीन्हा नरहरी दास,
पालित पोषित शिक्षित होकर, शेष सनातन से पा ज्ञान,
निज पत्नी रत्नावली से, पा राम का वैभव मान,
आज विश्व के अखिल रसिक जन, कर मानस (रामचरितमानस) में स्नान विलास,
मुक्त कंठ से कह उठते हैं, जय तुलसी, जय तुलसीदास
2 comments:
its a short, brilant , beautiful and informative poem
its a very nice n cute poem n it really helped me a lot for my project . . .thanx!
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