Thursday, July 12, 2007

कद्गमाला स्त्रोत्रम

श्री देवियाय नमः

लेखनी कि शुरुआत करता हूँ माँ कि आराधना से :

त्रिपुर सुंदरी, ह्रदय देवी, शिरो देवी, शिखा देवी, कवच देवी, नेत्र देवी, अस्त्र देवी, कामेश्वारी, भगमालिनी, नित्याक्लिन्ने, भेरुंडे, वन निवासिनी, महा वज्रेश्वारी, शिवदूती, त्वरिते, पुलसुंदरी, नित्ये, नीलपताके, विजये, सर्व्मंगाल्ये, ज्वाला मालिनी, चित्रे, महानित्ये, परमेश्वर परमेश्वरी, मित्रीसमयी, सश्तिसमयी, वुद्दिसमयी, चरनाथ्मयी, लोपमुद्रमयी, अगस्त्यमयी, कालतापनमयी, धर्मंचार्यामायी, मुक्त्केशी, स्वरामायी, दीपकलानाथमयी, विश्नुदेवमयी, प्रभाकर्देवमयी, तेजोदेवमयी, मनोजदेवमयी, कल्यानदेवमयी, रत्नदेवमयी, वासुदेवमयी, श्रीराहमहाआनंदमयी, अडिमासिद्धे, लघिमासिद्धे, मतिमासिद्धे, येसित्वासिद्धे, वसित्वासिद्धे, प्रकाम्यासिद्धे, भुक्तिसिद्धे, इच्छासिद्धे, प्राप्यासिद्धे, सर्वकामसिद्धे, रामहीमाहेश्वरी, कौमारी, वैष्णवी, वाराही, माहेन्द्री, चामुंडे, महालक्ष्मी, सर्व संक्शोभिनी, सर्व विद्य्राविनी, सर्वाकर्शिनी, सर्वावशंकरी, सर्वों मादिनी, सर्व महाकुशे, सर्व्केचरी, सर्व बीजे, सर्व्योने, सर्व्त्रिखंडे, त्रैलोक्यामोहना चक्रस्वामिनी, प्रकट योगिनी, कामा कर्शिनी, बुध्या कर्शिनी, अन्हाकारा कर्शिनी, शब्दा कर्शिनी, स्पर्शा कर्शिनी, रोपा कर्शिनी, रसा कर्शिनी, गंधा कर्शिनी, चित्ता कर्शिनी, दैव्या कर्शिनी, स्म्रित्या कर्शिनी, नामा कर्शिनी, बीजा कर्शिनी, आत्मा कर्शिनी, अमृता कर्शिनी, शरीरा कर्शिनी, सर्वाषा परिपूरक चक्र स्वामिनी, मुक्त योगिनी, अनंग कुसुमे, अनंग मेखले, अनंग मदने, अनंग मदनातुरे, अनंग रेखे, अनंग वेगिनी, अनंग आन्कुशे, अनंग मालिनी, सर्व सख्शोभना चक्रस्वमिनी, गुप्ततर योगिनी, सर्वसंक्शोभिनी, सर्वविद्राविनी, सर्वाकर्शिनी, सर्वाक्लादिनी, सर्वसम्मोहिनी, सर्वस्थाम्भिनी, सर्वझूम्बिनी, सर्ववशंकरी, सर्वरंजिनी, सवोंमादिनी, सर्वार्थसाधिनी, सर्वसम्पत्ति पूरनी, सर्व मंत्र मयी, सर्व द्वंद शयांकारी, सर्व सौभाग्य दायक चक्र स्वामिनी, सम्प्रदाया योगिनी, सर्व सिद्दी प्रदे, सर्व संपत प्रदे, सर्व प्रियाँकरी, सर्व मंगल कारिणी, सर्व काम प्रदे, सर्व दुःख विमोचिनी, सर्व मृत्यु प्रचामिनी, सर्व विघ्न निवारिनी, सर्वांग सुंदरी, सर्व सौभाग्य दायिनी, सर्वार्थ साधक चक्र स्वामिनी, पुलो तीर्ण योगिनी, सर्वग्ये, सर्व शक्ते, सर्वैईस्च्प्रदे, सर्व्ग्याग्यान्मये, सर्व व्याधि विनाशिनी, सर्वाधारस स्वरूपे, सर्व पाप हरे, सर्व अनंद्मायी, सर्व रक्षा स्वरुपिनी, सर्वे सिप्त प्रदे, सर्व रक्षा करे चक्र स्वामिनी, निगर्भ योगीनी, वसिनी, कामेश्वरी, मोदिनी, विमले, अरुने, जयदी, सर्वेश्वरी, कौलिनी, सर्व रोग हर चक्र स्वामिनी, रहस्य योगिनी, बाडिनी, चापिनी, पाचिनी, आन्कुशिनी, महाकामेश्वारी, महा वज्रेश्वारी, महा भग्मालिनी, महा श्री सुंदरी, सर्व सिद्दीप्रद चक्र स्वामिनी, अति रहस्य योगिनी, श्री श्री महा भात्तालीके, सर्व आनंद मया चक्र स्वामिनी, परापर रहस्य योगिनी, त्रिपुरे, त्रिपुरेशी, त्रिपुरसुन्दरी, त्रिपुर्वासिनी, त्रिपुराश्रीही, त्रिपुर्मालिनी, त्रिपुरासिद्धे, त्रिपुराम्बा, महा त्रिपुर सुंदरी, महा माहेश्वरी, महा महा राग्ये, महा महा शक्ते, महा महा गुप्ते, महा महा यप्ते, महा महा नंदे, महा महा स्पंदे, महा महा शये, महा महा श्री चक्र नगर साम्राग्नी

नमस्तुभ्यम नमस्तुभ्यम नमस्तुभ्यम नमो नमः

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