बाप मरे अंधियारे, बेटा पॉवर हाऊस - बचपन में ये मुहावरा प्रायः सुनने को मिल जाता था परन्तु इसके अर्थ का ज्ञान न होते हुए भी सुनने में बहुत अच्छा लगता था, शायद इसके रोचक शब्दों के कारण। थोड़े बड़े होने पर इसका अर्थ भी समझ में आने लगा। जब कभी कोई बच्चा किसी वस्तु की मांग करता था जो की उस वक्त के हिसाब से थोडी बड़ी होती थी तो ये मुहावरा सुनने को मिल जाता था। वास्तव में इसका अर्थ होता है कि जिस वस्तु की बाप ने कल्पना भी नहीं की आज बच्चा उस वस्तु की मांग कर रहा है।
परन्तु ऐसा तो होता ही है। आज के वैज्ञानिक युग में प्रतिदिन एक से बढ़कर एक चीज़ें आ रही हैं और बच्चा उनको देखकर उसे पाने की अपेक्षा रखता है जिसकी उसके बाप ने कल्पना भी नहीं की थी।
अर्थ कुछ भी हो, आज भी ये मुहावरा सुनने में अच्छा लगता है :)
Thursday, May 1, 2008
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2 comments:
हा हा!! ये तो पहली बार सुना. हमारे यहाँ इसका यह वर्जन चलता था:
बाप मारे मेंढकी, बेटा तीरंदाज.
:)
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आप हिन्दी में लिखते हैं. अच्छा लगता है. मेरी शुभकामनाऐं आपके साथ हैं इस निवेदन के साथ कि नये लोगों को जोड़ें, पुरानों को प्रोत्साहित करें-यही हिन्दी चिट्ठाजगत की सच्ची सेवा है.
एक नया हिन्दी चिट्ठा किसी नये व्यक्ति से भी शुरु करवायें और हिन्दी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें.
शुभकामनाऐं.
-समीर लाल
(उड़न तश्तरी)
इस तरह के मुहावरे मजा दे जाते हैं।
समीरजी शायद आप ने मुहावरे से न गायब कर दिया है।
बाप न मारे मेंढकी, बेटा तीरंदाज :)
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