Sunday, February 10, 2008

परिवार कि सुख

तनु निम्न मध्यम परिवार में पली बढ़ी और पढ़ने लिखने में उतीर्ण कन्या है। उसके पापा और चाचा एक साथ कपडे की दुकान करते हैं और माँ और चाची घर संभालती हैं। तनेश उसका २ साल छोटा चचेरा भाई है। तनेश भी पढ़ने लिखने में होशियार है। तनु के डाक्टरी में चयन हो जाने के कारण आज घर में छोटी सी पार्टी है और सब बहुत खुश हैं, विशेषकर उसकी चाची क्योंकि तनु की चाची तनु की बहुत अच्छी दोस्त भी है।
तनु अपनी पढाई के लिए जा रही है और सब स्टेशन पर उसे छोड़ने जाते हैं। परन्तु उसकी चाची नहीं जा रही क्योंकि वो तनु को जाते हुए नहीं देख सकती। तनु पढ़ने चली गयी और कुछ दिन बाद घर में सब कुछ पहले जैसा चलने लगा पर अभी भी तनु की कमी सबको महसूस होती है।
वक़्त बीता और तनेश का भी इंजीनियरिंग में चयन हो गया। परन्तु घर की आर्थिक स्थिथि को देखते हुए और तनु की पढाई में लगने वाले खर्चे को देखते हुए तनु के चाचा ने तनेश को आगे पढ़ने से मना कर दिया और दुकान में उनका हाथ बटाने को बोला, परन्तु तनेश अभी और पढना चाहता है। तनु की माँ को तनु के चाचा की बात पसंद नहीं आई और उन्होने तनु की पढाई को रोक कर तनेश के पढाई को शुरू करने की बात कही। तनु की चाची ने तनु के चाचा का पक्ष लिया और बोला दुकान पर २ की जगह अगर ३ लोग होने तो ज्यादा अच्छे से काम होगा इसलिए तनेश का दुकान पर काम करना ही ठीक है। बहुत कहने सुनने के बाद ये निर्णय हुआ की तनेश दुकान पर काम करेगा और उसकी पढाई रोक दी गयी क्योंकि तनु की चाची ने धमकी दे दी थी की अगर तनु की पढाई रोकी गयी तो वो घर से चली जाएगी।
इस सब बातों से बेखबर तनु ने डाक्टरी में हर साल अव्वल स्थान प्राप्त किया और २.५ साल के बाद वो घर आ रही है। सब उसे स्टेशन लेने गए और तनु अपने चाची को स्टेशन पर देख कर बहुत खुश हुई। २.५ साल बाद घर आने पर वो फूली नहीं समा रही थी परन्तु तनु की माँ ज्यादा खुश नहीं थी क्योंकि उसे पता था की जब तनु को तनेश की पढाई के बाए में पता लगेगा तो बहुत नाराज होगी। और ऐसा ही हुआ, जब तनु ने सुना की आर्थिक तंगी के कारण तनेश की पढाई रोक दी गयी है तो रो रो कर उसका बुरा हाल हो गया। तनु ने तुरंत अपनी पढाई छोड़ने का सोचा और अपनी चाची से बोली कि अब वो आगे नहीं पढना चाहती है। परन्तु उसकी चाची ने फिर घर से चले जाने कि बात कही। तनु समझ नहीं पा रही थी की वो अपनी चाची को क्या कहे। अपनी चाची से चिपट कर तनु रोती रही और रोते रोते सोचती रही कि ना जाने किन अच्छे कर्मो के कारण उसको ऐसी चाची मिली और ऐसा परिवार मिला जहाँ सब एक दुसरे कि ख़ुशी के लिए अपनी ख़ुशी छोड़ने पर तनिक भी विचार नहीं करते। शायद आज तनु के दिल कि हालत उससे बेहतर कोई नहीं समझ सकता था।

1 comment:

पुनीता said...

यह सिर्फ एक कहानी है तो फिर सही है पर अगर सच्ची कहानी है तो फिर उस परिवार का क्या कहना. लड़की को लड़के से ज्यादा महत्व देने की मिशाल है वह परिवार. हम सब को अनुभव करना चाहिए और अनुसरण भी.
पर जब दो समान बच्चे की बात हो तो एक का दूसरे के कारण करियर में पैसों की तंगी की वजह से पीछे रह जाना बहुत खलता है. कई बच्चे टयुशन वैगरह कर अपनी पढ़ाई कंटीनयु करते हैं. घटना अगर ऐसा मोड़ लेती तो ठीक होता. दोनों बच्चों की भलाई हो जाती.


View My Stats