दोस्ती वो क्या निभाएँगे, वो दुश्मन से भी बद्तर निकला।
कड़वी सच्चाई
ज़माने में नहीं होता कोई किसी का,
मिल भी जाए कोई तो उसका क्या भरोसा।
दोस्तों गलत ना समझना, ऐसा कुछ भी मेरे साथ नहीं हुआ है। बस बैठे बैठे उन लोगों का ख्याल आया जिनके साथ ऐसा हुआ है तो उन लोगों की तड़प को महसूस करते हुए ये तस्वीर और चार शब्द लिख दिए।
अगर किसी को अपनी आपबीती का ख्याल आया हो और दुःख पहुँचा हो तो क्षमा चाहता हूँ।
1 comment:
Dear Vijay, Everyday is a new beginning.......!!!!
Post a Comment